Thursday, March 2, 2017

शराफत छोड़ दी मैने

व्यंग
शराफत छोड़ दी मैने
विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए १ , विद्युत मण्डल कालोनी , नयागांव जबलपुर
९४२५८०६२५२ , ७०००३७५७९८
vivek1959@yahoo.co.in

  बहुत देख लिया शरीफ बनकर . चाहे जो गदहा बनाकर निकल जाता है . बीबी लल्लू कह कर आंख मार देती है और मै कसमसा कर रह जाता हूं . शराफत के बाने पहने घूमते  हुये बाहर कोई और आंख मारती भी है तो  मै गधा यही समझता हूं कि उनकी आँख फड़क गई होगी ऐसी स्थिति में  वह पक्का उल्लू समझती होगी मुझ शरीफ को . आफिस में हर कोई गदहे की तरह लादे रहता है , कोल्हू के बैल की तरह मैं शराफत का चोला ओढ़े काम में जुटा रहता हूं  . मेट्रो में ट्रेवल करते हुये खाली पड़ी लेडीज या सिनीयर सिटिजन सीट पर  बैठना तो दूर मैं संस्कारी शरीफ अपनी जनरल सीट भी खट से आफर कर देता हूं किसी बुजुर्ग या महिला को  खड़े देख , जिस पर वह बिना थैंन्क्यू बोले धप से बैठ जाने में कतई संकोच नहीं करती .मैं अपनी शराफत के साथ कोने में खड़ा रह जाता हूं .  पिक्चर हाल में इंटरवल में पिज्जा कार्नर पर लगी लाइन में मेरी शराफत के चलते मुझे सबसे अंत में ही मेरा आर्डर मिल पाता है , तब तक इंटरवल समाप्त होकर पिक्चर शुरू हो चुकी होती है . अफिस में किसी विएय पर जब चाय पर चरचा का ग्रुप डिस्कशन होता है तो मुझे प्लीज प्लीज कहती लोकसभा अध्यक्ष और स्वयं की शराफत में अधिक अंतर नही दिखता . शराफत के बीज मुझमें जाने कैसे और कब पड़ गये थे , पर स्कूल में मुझे इनोसेंट , शाई , वगैरह कहा जाता था ,बिनोबा भावे की  संस्कारधानी का निवासी मैं धीरे धीरे अनजाने ही शरीफ बन गया . गांधी की जीवनी पढ़कर अपरोक्ष ही मैं इतना  प्रभावित हो गया लगता हूं कि मैने शराफत का ठेका ही ले लिया .
 मेरी शराफत के चलते जब मैने देखा कि मैं अपने बच्चो का सुपरमैन हीरो नही बन पा रहा हूं , इतना ही नही मंहगाई के इन दिनो में मेरी शराफत मेरे पर्स पर भी भारी पड़ने लगी है तो मेरा दिशा दर्शन किया विविधभारती पर बजते एक फिल्मी गाने ने "शराफत छोड़ दी मैंने " अपने नेताओ के कट्टर अनुयायी  मैने जबसे बड़े बड़े राजनेताओ के चुनावी भाषण सुने हैं , मै शराफत छोड़ने का निर्णय ले लेना चाहता था  . किसी निबंध में पढ़ा यह वाक्य मुझे याद आ रहा है , हमारी फिल्में हमारे अवचेतन मन पर गहन प्रभाव छोड़ती है , मुझ सरीफ पर भी शराफत छोड़ दी मैने गीत का प्रभाव पड़ता दीखता है . इन दिनो मैने शराफत छोड़ दी है .  पूरी बेशर्मी से अपने सहायक पर अपना सारा काम उंडेलकर मैं गुलछर्रे उड़ाता इस टेबल से उस टेबल पर मटरगश्ती करता रहता हूं इन दिनो आफिस में . कोई कुछ कहता है तो सरेआम घोषणा दोहरा देता हूं अपनी शराफत को तिलांजली दे देने की , सामने वाला शायद मेरी पुरानी शराफत वाले दिनो में किये गये मेरे शोषण को स्मरण कर कुछ नही कहता , मैं मन ही मन हँस लेता हूं . लाइन में धक्का मुक्की करते हुये आगे बढ़ने की मेरी विशुद्ध भारतीय शैली में शराफत छोड़ते ही जबरदस्त इजाफा हुआ है , यह योग्यता नोटबंदी के दिनो में मेरे बहुत काम आई , मैने मन ही मन कहा भी थैंक गाड , मैने शराफत छोड़ दी .
 अब मैं अपनी बीबी का हीमैन बन चुका हूं जो उसे मोटर साइकल पर पीछे चिपकाये , तेज हार्न मारते हुये कट मारकर आगे ही आगे बढ़ता जाता है बेहिचक .शराफत का नकली चोला छोड़कर बिंदास जी रहा हूं अपनी ठेठ देशी मौलिकता के साथ ठाठ से , बिना बनावटी मुस्कान के .

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