Tuesday, January 27, 2009

विदेशी शराब की सरकारी दुकान

विदेशी शराब की सरकारी दुकान

ये लेखक भी बड़े अजीब किस्म के प्राणी होते हैं, जाने क्यों उन्हें वह सब भी दिखता है, जिसे और लोग देखकर भी नहीं देखते, शहर के मुख्य चौराहे पर गांधी जी की प्रतिमा है, उसके ठीक सामने, मूगंफली, उबले चने, अंडे वालों के ठेले लगते हैं और इन ठेलों के सामने सड़क के दूसरे किनारे पर, लोहे की सलाखों में बंद एक दुकान है, दुकान में रंग-बिरंगी शीषियां सजी हैं लाइट का डेकोरम है,अर्धनग्न तस्वीरों के पोस्टर लगे है, दुकान के ऊपर आधा लाल आधा हरा एक साइन बोर्ड लगा है- `` विदेषी शराब की सरकारी दुकान´´ इस बोर्ड को आजादी के बाद से प्रतिवर्ष नया ठेका मिलते ही, ठेकेदार नये रंग-पेंट में लिखवाकर, तरीके से लगवा देता है पर आम नागरिकों को न यह इबारत समझ आती है न बोर्ड, यह हम जैसे बुिद्धजीवी लेखक टाइप के लोगों को ही दिखता है, दिखता क्या है, गांधी जी के बुत को चिढ़ाता सा चुभता है।

यह दुकान सरकारी राजस्व कोष की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष जन कल्याण के बजट के लिये जो मदद सरकार जुटाती है, उसका बड़ा भाग शहर-षहर में फेैली ऐसी ही दुकानलों से एकत्रित होता है। सरकार में एक अदद आबकारी विभाग इन विदेषी शराब की देसी दुकानों के लिये विभाग है, तो मंत्री जी हैं, जिला अधिकारी हैं, सचिव है और इंस्पेक्टर वगैरह भी है। शराब के ठेकेदार है। शराब के अभिजात्य माननीय उपभोक्ता आदि हैं। गांधी जी का बुत गवाह है, देर रात तक, सप्ताह में सातों दिन, दुकान में रौनक बनी रहती है। सारा व्यवसाय नगद पर होता है जबकि शासन को अन्य कार्यक्रम ऋण बांटकर, सिब्सडी देकर करने पड़ते है। सर्वहारा वर्ग के मूंगफली, अंडे और चने के ठेले भी इस दुकान के सहारे ही चलते है। अत: जब कभी चुनाव, होली या गांधी जयंती जैसी तिथियों पर इस दुकान से सारा लेन -देन पिछवाड़े से ब्लैक पर ही हो पाता है, तो ये ठेले वालो अपनी आजीविका के लिये परेषान हो उठते है। प्रतिवर्ष होने वाले ठेकों की नीलामी के समय माहौल तनावपूर्ण हो जाता है, किन्तु कट्टे-वट्टे चलने के बाद भी स्थिति नियंत्रण में बनाये रखने हेतु पुलिस कप्तान, जिलाधीष आदि सक्रिय होते है।

गांधी जी ने जाने क्यों इतने लाभदायक व्यवसाय को कभी समझा नहीं, और शराबबंदी, विदेषी बहिष्कार, जैसी हरकतें करते रहे। आज उनके अनुयायियों ने कितनी विद्वता से हर गांव, हर चौराहे पर, उनके बुत लगवा दिये हैं और सरकारी स्तर पर इतने लाभदायक कार्य कर रहे हैं। कई माननीय मुख्यमंत्री तो आबकारी नीति की सरकारी घोषणा, समीक्षा आदि भी करते रहते हैं और बियर वियर जैसे शीतर पेय, इसी के तहत अब इन सलाखबंद दुकानों से निकलकर दूध की दुकानों तक पहुंच रहे है। हम प्रगति पथ पर अग्रसर हैं। मेरे जैसे जाहिल लोग जिन्होेंने प्राय: सरकारी स्कूल और सरकारी अस्पताल ही देखे हैं, ये सरकारी दुकानें देखकर सरकार के प्रति नतमस्तक हैं। और क्यों न हो? यहां मिलने वाला पेय मेड इन इंडिया ही होता है- पर उसे विदेषी का खिताब वेैेसंें ही मिला हुआ है, जैसे किसी विदेषी बहू को हम लोग अमने परिवार में ब्याहकर ठेठ अपनी बना लेते हैं। यह हमारी संस्कृति की विषेषता है। यह हॉट डिंªक, कोल्ड करके पिया जाता है। यह भी इसकी अद्भुत विषेषता है। इस पेय को सरकारी सरंक्षण स्वाभाविक हैं, क्योंकि प्रत्येक महत्वपूर्ण फैेसले जो दूसरे दिन ऑफिस में लिये जातें हैं, वे पूर्व संध्या पर डिनर पॉलिटिक्स में इन बोतलों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस पेय की क्षमता अद्भुत है, यह आपके सारे गम भुला सकता है। इसके जाम की दोस्ती, अन्य सारे रिष्ते दरकरार कर देती है। मंदिर-मिस्जद बैर कराते, मेल कराती मधुरषाला-हरिवंषराय बच्चन जी की मधुषाला के प्याले का मधुरस यही तो है। इस मधुरस पर क्या टैक्स होगा, यह राजनैतिक पार्टियों का चंदा तय करने का प्रमुख सूत्र है।

आइये खुषी में, गम में, नये वर्ष के स्वागत में, जीत में, हार में, पदोन्नति में, सेवानिवृत्त पर या फिर वैसे ही, अपनी इस सरकारी दुकान से, यह अपने ही देष में बना स्वदेषी, विदेषी पेय खरीदकर इसका रसास्वादन करें और ग्लोबलाइजेषन को महसूस करें।



विवेकरंजन श्रीवास्तव
रामपुर, जबलपुर
9425484452

2 comments:

  1. आइये खुषी में, गम में, नये वर्ष के स्वागत में, जीत में, हार में, पदोन्नति में, सेवानिवृत्त पर या फिर वैसे ही, अपनी इस सरकारी दुकान से, यह अपने ही देष में बना स्वदेषी, विदेषी पेय खरीदकर इसका रसास्वादन करें और ग्लोबलाइजेषन को महसूस करें।

    --जब आप चाहें, इस सुकार्य को अंजाम देकर इस युग को नया आयाम देते हैं :)

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  2. बहुत सटीक . इन्ही दुकानों से सरकार को राजस्व का फायदा हो रहा है . सरकार इसी की लालच में और दुकाने खुलवा रही है . आगे आगे देखिये ये मधुशालाये मन्दिर मज्जिद गिरजाघरों में और तो और राष्ट्रिय स्मारकों के सामने खुल जायेगी .

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कैसा लगा ..! जानकर प्रसन्नता होगी !