Tuesday, August 5, 2008

श्रीमती जी की किटी पार्टी



श्रीमती जी की किटी पार्टी
विवेकरंजन श्रीवास्तव
c/6 , mpeb colony , rampur ,Jabalpur
पुराने जमाने में महिलाओं की परस्पर गोिष्ठयां पनघट पर होती थी । घर परिवार की चर्चाये, ननद, सास की बुराई, वगैरह एक दूसरे से कह लेने से मनो चिकित्सकों की भाषा में, दिल हल्का हो जाता है, और नई ऊर्जा के साथ, दिन भर काटने को, पारिवारिक उन्नति हेतु स्वयं को होम कर देने की हमारी सांस्कृतिक विरासत वाली `नारी मानसिक रूप से तैयार हो लेती थी। समय के साथ बदलाव आये हैं । अब नल-जल व्यवस्था के चलते पनघट इतिहास में विलीन हो चुके है। स्त्री समानता का युग है। पुरूषों के क्लबों के समकक्ष महिला क्लबों की संस्कृति गांव-कस्बों तक फेैल रही है। सामान्यत: इन क्लबों को किटी-पार्टी का स्वरूप दिया गया है। प्राय: ये किटी पार्टिZयां दोपहर में होती है, जब पतिदेव ऑफिस, और बच्चे स्कूल गये होते है। महिलायें स्वयं अपने लिये समय निकाल लेती है। और मेरी पत्नी इस दौरान सोना, टीण्वीण् धारावाहिक देखना, पत्रिकायें- पुस्तकें पढ़ना, संगीत सुनना, और कुछ समय बचाकर लिखना जैसे शौक पाले हुए थी। पत्र-पत्रिकाओं में उसके लेख पढ़कर, मित्र अधिकारियों की पित्नयां मेरी श्रीमती जी को अपनी किटी पार्टी में शामिल करने की कई पेषकष कर चुकी थी, जिन्हेंं अंत्तोगत्वा उसे तब स्वीकार करना ही पड़ा जब स्वयं जिलाधीष महोदय की श्रीमती जी ने उसे क्लब मैंबर घोषित ही कर दिया। और इस तरह श्रीमती जी को भी किटी पार्टी का रोग लग ही गया।
प्रत्येक मंगलवार को मैं महावीर मंदिर जाता हंूं, अब श्रीमती जी इस दिन किटी पार्टी में जाने लगी है। कल क्या पहनना है, ज्वेलरी, साड़ी से लेकर चप्पलें और पर्स तक इसकी मैंचिग की तैयारियां सोमवार से ही प्रारंभ हो जाती हैं। कहना न होगा इन तैयारियों का आर्थिक भार मेरे बटुये पर भी पड़ रहा है। जिसकी भरपाई मेरा जेबखर्च कम करके की जाने लगी है। ब्यूटी कांषेस श्रीमती जी, नई सखियों से नये नये ब्यूटी टिप्स लेकर, मंहगी हर्बल क्रीम, फेस पैक वगैरह के नुस्खे अपनाने लगी है। किटी पार्टी कुछ के लिये आत्म वैभव के प्रदषZन हेतु, कुछ के लिये पति के बॉस की पत्नी की बटरिंग के द्वारा उनकी गुडबुक्स में पहुंचने का माध्यम कुछ के लिये नये फैषन को पकड़ने की अंधी दौड़, तो कुछ के लिये अपना प्रभुत्व स्थापित करने का एक प्रयास कुछ के लिये इसकी - उसकी बुराई भलाई करने का मंच, कुछ के लिये क्लब सदस्यों से परिचय द्वारा अपरोक्ष लाभ उठाने का माध्यम तो कुछ के लिये सचमुच विशुद्ध मनोरंजन होती है । कुछ इसे नेटर्वक माकेटिंग का मंच बना लेती है।
मंगल की दोपहर जब श्रीमती जी तैयार हो लेती है, तो मेरे आफिस की फोन की घंटी खनखना उठती है, और मुझे उन्हें क्लब छोड़ने जाना होता है, लौटते वक्त जरूर वे अपनी किसी सखी से लिफ्ट ले लेती है, जो उन्हें अपनी सरकारी जीप, या पर्सनल ड्राइवर वाली कार में ड्राप कर उपकृत कर देती हैं। उतरते वक्त आइये ना! की औपचारिकता होती है, जिससे बोर होकर आजकल श्रीमती जी मुझसे एक ड्राइवर रख लेने हेतु सिफारिष करने लगी है। क्लब में हाउजी का पारंपरिक गेम होता है, जिस किसी की टर्न होती है, उसकी रूचि, क्षमता एवं योग्यता के अनुरूप सुस्वादु नमकीन-मीठा नाष्ता होता है। चर्चायें होती हैें। गेम आफ द वीक होता है, जिसमें विनर को पुरस्कार मिलता है। मेरी इटेलैक्चुअल पत्नी जब जाती है, ज्यादातर कुछ न कुछ जीत लाती है। आंख बंद कर अनाज पहचानना, एक मिनट में अधिकाधिक मोमबत्तियां जलाना, जिंगल पढ़कर विज्ञापन के प्राडक्ट का नाम बताना, एक रस्सी में एक मिनट में अधिक से अधिक गठाने लगाना, जैसे कई मनोरंजक खेलों से, किटी पार्टी के जरिये हम वाकिफ हुये है। मेरा लेखक मन तो विचार बना रहा है एक किताब लिखन का- गेम्स आफ किटी पार्टीज मुझे भरोसा है, यह बेस्ट सैलर होगी। क्योंकि हर हफ्ते एक नया गेम तलाषने में हमारी महिलायें काफी श्रम कर रही है।
इस हफ्ते मेरी श्रीमती जी `लेडी आफ द वीक´ बनाई गइ्रZ है। यानी इस बार टर्न उनकी हैं। चलतू भाषा में कहें तो उन्हें मुगाZ बनाया गया है नहीं शायद मुर्गी। श्रीमती जी ने सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति देने के अदांज से मेरे सारे मातहत स्टाफ को तैनात कर रखा है, चाट वाले को मय ठेले के क्लब बुलवाया जाना है, आर्डर पर रसगुल्ले बन रहे हैं, एस्प्रेसों काफी प्लाटं की बुकिंग कराई जा चुकी है, हरेक को रिटर्न गिफ्ट की शैली में कुछ न कुछ देने के लिये मेरी किताबों के गिफ्ट पैकेट बनाये गये हैं- ये और बात है कि इस तरह श्रीमती जी लाफ्ट पर लदी मेरी किताबों का बोझ हल्का करने का एक ओर असफल प्रयास कर रही है, क्योंकि जल्दी ही मेरी नई किताब छपकर आने को है। क्या गेम करवाया जावे इस पर बच्चों से, सहेलियों से, बहनों से एसण्टीण्डीण् पर, लम्बे-लम्बे डिस्कषंस हो रहे हैं- मेरा फोन का बिल सीमायें लांघ रहा है। फोन पर कर्टसी काल करके व्यैक्तिक आमत्रंण भी श्रीमती जी अपने क्लब मेम्बरस् को दे रही है। श्रीमती जी की सक्रियता से प्रभावित होकर लोग उन्हें क्लब सेक्रेटरी बनाना चाह रहे है। मैं चितिंत मुद्रा में श्रीमती जी की प्रगति का मूक प्रषंसक बना बैठा हंू। उन्हें चाहकर भी रोक नहीं सकता क्योंकि क्लब से लौटकर जबलपुर चहकते हुये, वे वहां के किस्से सुनाती है, तो उनकी उत्फुल्लता देखकर मैं भी किटी पार्टी में रंग जमाने वाली सुंदर, सुषील, सुगढ़ पत्नी पाने हेतु स्वंय पर गर्व करने का भ्रम पाल लेता हंू। अब कुछ प्रस्ताव किटी पार्टी को आर्थिक लाभों से जोड़ने के भी चल रहे हैं, जिनमें 1,000 रूपये मासिक की बीसी, नेटवर्क माकेZटिंग, सहकारी खरीद, पारिवारिक पिकनिक वगैरह के हैं। आर्थिक सामंजस्य बिठाते हुये, श्रीमती जी की प्रसन्नता के लिये उनकी पार्टी में हमारा पारिवारिक सहयोग बदस्तूर जारी हैं । क्योंकि परिवार की प्रसन्नता के लिये पत्नी की प्रसन्नता सर्वोपरि है।
विवेकरंजन श्रीवास्तव
रामपुर, जबलपुर
मो 9425484452

2 comments:

  1. अगली किटी पार्टी की कार्यवाही छिपकर देख लें. अगले व्यंग संकलन के लिए मसाला मिल जाएगा और अगर पकडे गए तो करुण रस का महाकाव्य बन जाएगा.

    ReplyDelete
  2. अगली किटी पार्टी की कार्यवाही छिपकर देख लें. अगले व्यंग संकलन के लिए मसाला मिल जाएगा और अगर पकडे गए तो करुण रस का महाकाव्य बन जाएगा.

    ReplyDelete

कैसा लगा ..! जानकर प्रसन्नता होगी !