Wednesday, February 24, 2010

वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना हो अब

अव्यंग
वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना हो अब

विवेक रंजन श्रीवास्तव
ओ बी ११ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर
मो ९४२५८०६२५२


यह समय कीर्तीमानो का है . तरह तरह के कीर्तिमान बनाये जा रहे हैं , उनका लेखा जोखा रखा जा रहा है .तरह तरह के सम्मान , पुरुस्कार स्थापित हो रहे हैं ,सम्मान पाकर लोग गौरवांवित हो रहे हैं . . पहले का समय और था ,पुरस्कार देकर देने वाले गौरवान्वित होते थे अब पुरुस्कारों के लिये जुगाड़ किये जा रहे हैं , जिन्हें सीधे तरीको से पुरस्कार नही मिल पाते , वे अपने लिये नई कैटेगिरी ही बनवा लेते हैं .खेलकूद में ढ़ेरो पुरुस्कार हैं , प्रतियोगितायें हैं . साहित्य में , लेखन में कविता , कहानी , व्यंग में , पुस्तको के लिये भी कई कई पुरुस्कार हैं , जिन्हें खुद कभी कोई पुरस्कार नही मिला वे भी किसी की स्मृति में चंदा वंदा करके कोई पुरुस्कार या सम्मान समारोह आयोजित करने लगते हैं और एक विज्ञप्ति निकालते ही उनके साथ भी , सम्मान की चाहत रखने वालो की भीड़ जुटने लगती है .
पाश्चात्य देशो में नये नये प्रयोग हो रहे हैं , कोई टमाटर मसलने का कीर्तिमान बना रहा है तो कोई बर्फ पर कलाकारी करने का ,आये दिन कुछ न कुछ नया हो रहा है कीर्तिमान बनाने के लिये लोग जान की बाजी लगा रहे हैं . लिम्का ने तो सालाना बुक आफ रिकार्डस की किताब ही छापनी शुरू कर दी है . हमारे देश में पुरस्कारो के नामो के लिये हम अपने अतीत पर गर्व करते हुये पुरातन प्रतीको को अपना ब्रांड आइकान बनाते रहे हैं , निशानेबाजी के लिये एकलव्य पुरुस्कार ,खेलो के लिये अर्जुन पुरुस्कार ,वीरता के लिये महाराणा प्रताप पुरुस्कार , सामाजिक कार्यों के लिये बाबा साहेब अंबेडकर आदि आदि के नाम पर गौरव पूर्ण पुरस्कारो की स्थापना हमने कर रखी है . अब जब से हमारे एक प्रदेश के ८६ वर्षीय बुजुर्ग महामहिम जी पर केंद्रित , पता नहीं , असल या नकल शयन शैया पर निर्मित फिल्म का प्रसारण एक टी वी चैनल पर हुआ है , जरूरत हो चली है कि वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना हो .वानप्रस्थ की परम्परा और जरावस्था को चुनौती देते कथित प्रकरण से कई बुजुर्गो को नई उर्जा मिलेगी ,प्राचीन समय से हमारे ॠषि मुनी और आज भी वैज्ञानिक चिर युवा बने रहने की जिस खोज में लगे रहे हैं , उसी दिशा में यह एक कदम है . महर्षि वात्सायन ने जिस कामसूत्र की रचना की है , उसका सारा विश्व सदा से दीवाना रहा है .खजुराहो के विश्व विख्यात मंदिर वात्सायन के कामसूत्र को अद्वितीय मूर्तिकला के रूप में प्रदर्शित करते हैं . पाश्चात्य चिंतक फ्रायड के सिद्धांत के अनुसार भी दुनिया के हर कार्य में प्रत्यक्ष या परोक्ष , आधारभूत रूप से सैक्स ही होता है. . अर्थात हमें यह समझ लेने की जरूरत है कि सैक्स की जिस धारणा को जिसे छुपा छुपा कर हम बेवजह परेशान हैं , को गर्व से उजागर करने की आवश्यकता है . अब समय आ गया है कि यौन कुंठाओ का अंत हो . इंटरनेट पर वैसे ही सब कुछ केवल एक क्लिक पर सर्व सुलभ है . सैक्स टायज का बाजार करोड़ो में पहुंच रहा है .वियाग्रा , व अन्य कथित सैक्सवर्धक जड़ी बूटियों , दवाओ की विश्वव्यापी मांग है . फिल्मों में लम्बे किस सीन , निर्वस्त्र हीरोइन पुरानी बातें हो चली हैं . अब लासवेगास में लम्बे चुम्बन को लेकर प्रतियोगितायें हो रही हैं ,एक ही व्यक्ति कितनी लड़कियों से लगातार एक के बाद एक चुम्बन ले सकता ये कीर्तिमान बनाये जा रहे हैं . हमारे ही देश में वैश्यावृत्ति को कानूनी दर्जा देने की मांग उठ रही है . अब समय है कि वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना हो .इससे पहले कि विदेशी बाजी मार लें , सैक्सोलाजिस्ट वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना , प्रतियोगिता के स्वरूप आदि को लेकर खुली चर्चा करे और महर्षि वात्सासयन के देश में विभिन्न कैटेगरीज में वात्सायन पुरस्कारो की स्थापना की जावे . जिससे जब किसी छिपे कैमरे से किसी कमरे की छुपी तस्वीरें बाहर आ जावें तो किसी योग्य नेता को त्यागपत्र न देना पड़े , वरन उसे वात्सायन पुरस्कारो की समुचित श्रेणि से सम्मानित कर हम गौरवांवित हो सकें .

2 comments:

  1. बड़ा गहरा कटाक्ष भाई जी..

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  2. वाह इतनी करारी चोट । धन्यवाद्

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कैसा लगा ..! जानकर प्रसन्नता होगी !