व्यंग
आंकड़ेबाजी
विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए १ , विद्युत मण्डल कालोनी , नयागांव जबलपुर
९४२५८०६२५२
vivek1959@yahoo.co.in
मोदी जी बोलते तो हम ना भी मानते , पर जब आंकड़े बोल रहे हैं कि देश की विकास दर नोट बंदी से कम नही हुई है तो क्या करे , मानना ही पड़ेगा . हम तो एक दिन स्टेशन पर अपना मोबाइल वैलेट लेकर स्टाल स्टाल पर चाय ढ़ूंढ़ रहे थे ,पर हमें चाय नसीब नहीं हुई थी , पर एक कप चाय से देश की विकास दर थोड़े ही गिरती है !
आंकड़ा तो यह भी है कि भीम एप दुनिया का सबसे कम समय में सबसे ज्यादा डाउन लोडेड एप बन चुका है हमने भी इसे डाउन लोड कर रखा है , जाने कब कौन हमें भीम से भीमकाय राशि देने की पेशकश कर दे इस कैश लैस करेंसी के युग में . पर यह बात और है कि न तो आज तक हमने किसी को भीम से एक रुपया दिया है और न ही अब तक हमें किसी ने फूटी कौड़ी भी भीम से देने की पेशकश ही की है .सच तो यह है कि एक बार देश के बदलते वातावरण से तादात्म्य बनाने के लिये जब पेटीएम का फुल पेज विज्ञापन देखा था तो उत्साह में अपने मोबाईल में पेटीएम पर ५००० रु शिफ्ट कर लिये थे , जब लम्बे समय तक उनका कोई उपयोग नही हो सका तो बच्चो को दो दो हजार शिफ्ट किये , एक बार पेटीएम से पिक्चर की टिकिट बुक की , अगले फ्री टिकिट के आफर को इग्नोर किया ,और बेवजह ओला से थियेटर गये फिर भी एक सौ छियासठ रुपये अभी भी हमारे मोबाईल में बचे हुये हैं , अब उन्हें ठिकाने लगाकर मुक्ति पाने के लिये बिजली बिल की राह देख रहे हैं .
बात उन दिनो की है जब अमेरिका और रूस में कोल्ड वार हुआ करता था . ओलम्पिक की किसी स्पर्धा में केवल अमेरिका और रूस के ही खिलाड़ी फाइनल में थे . अमेरिकन बन्दा पहले नम्बर पर आया और रशियन दूसरे नम्बर पर . अब आंकड़ेबाजी की रिपोर्टिंग सुनिये , अमेरिकन रेडियो ने कहा "अमेरिकन वेयर फर्स्ट एन्ड ड़सियन वेयर लास्ट" . रशियन न्यूज ने लिखा , "रशियन वेयर स्टुड सेकेंड , व्हेयर एज अमेरिकनस वेयर लास्ट बट वन " . गलत बिल्कुल नही , शत प्रतिशत सही कहा दोनो ने बस थोड़ा सा केल दिखा दिया आंकड़े बाजी का .
किसी अधिकारी को अपने दो मातहत कर्मचारियो की गोपनीय चरित्रावली लिखनी थी , पहला उनका बड़ा प्रिय था उनकी ठकुरसुहाती करता था यद्यपि काम काज में ढ़ीला ढ़ाला था , जबकि दूसरा मेहनती था पर काम से काम रखता था , अफसर की हाँ में हाँ नही मिलाता था . पहले ने कुल जमा दो ही प्रोजेक्ट किये थे , और उससे पिछले साल में तो केवल एक ही प्रोजेक्ट किया था , जबकि दूसरे ने जहाँ पिछले साल दस काम किये थे , वही इस साल और मेहनत करके अपना ही रिकार्ड तोड़कर ११ काम पूरे कर डाले थे . अफसर आंकड़ेबाज था . उसने अपने चहेते की रिपोर्ट में लिखा " ही अचीव्ड १०० परसेंट ग्रोथ " , लिखना न होगा कि दूसरे बन्दे की ग्रोथ केवल १० प्रतिशत दर्ज हुई थी . तो ये मजे होते हैं आंकड़ो के खेल के . स्टेटिस्टिकल आफीसर्स यही करतब करते रहते हैं और सरकारी रिकार्डो में दुखी पीडित जनता की मुस्कराती हुई तस्वीर छपती रहती है .
आंकड़े केवल संख्याओ के ही नही होते , ट्रेन के तो सारे डब्बे ही एक दूसरे से आंकड़ो से फंसे खिंचते चले जाते हैं , आंकड़ो में फंसाकर कुंए में गिरी हुई बाल्टी हमने निकाली है .राजनेता हमेशा अपने आंकड़े खुले रखते हैं जाने कब किसको साथ लेना पड़े सरकार बनाने के लिये और जाने कब किसकी पैंट खींचनी पड़े आंकड़े फंसा कर . हुक अप , हैंगआउट वगैरह तो युवाओ के बड़े उपयोगी जुमले हैं . इन दिनो युवा प्रेमी , प्रेम से पहले हुक अप संस्कार से गुजरते हैं . गूगल हैंग आउट हम सभी ने किया है . लेकिन आंकड़े बाजी के इस आंतरिक विश्लेषण का यह मतलब कतई नही है कि मुझे देश की विकास दर पर कही से भी जरा भी संशय है . देश बढ़े , आंकड़ो में भी बढ़े और असल में भी बढ़े . खूब बढ़े .
आंकड़ेबाजी
विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए १ , विद्युत मण्डल कालोनी , नयागांव जबलपुर
९४२५८०६२५२
vivek1959@yahoo.co.in
मोदी जी बोलते तो हम ना भी मानते , पर जब आंकड़े बोल रहे हैं कि देश की विकास दर नोट बंदी से कम नही हुई है तो क्या करे , मानना ही पड़ेगा . हम तो एक दिन स्टेशन पर अपना मोबाइल वैलेट लेकर स्टाल स्टाल पर चाय ढ़ूंढ़ रहे थे ,पर हमें चाय नसीब नहीं हुई थी , पर एक कप चाय से देश की विकास दर थोड़े ही गिरती है !
आंकड़ा तो यह भी है कि भीम एप दुनिया का सबसे कम समय में सबसे ज्यादा डाउन लोडेड एप बन चुका है हमने भी इसे डाउन लोड कर रखा है , जाने कब कौन हमें भीम से भीमकाय राशि देने की पेशकश कर दे इस कैश लैस करेंसी के युग में . पर यह बात और है कि न तो आज तक हमने किसी को भीम से एक रुपया दिया है और न ही अब तक हमें किसी ने फूटी कौड़ी भी भीम से देने की पेशकश ही की है .सच तो यह है कि एक बार देश के बदलते वातावरण से तादात्म्य बनाने के लिये जब पेटीएम का फुल पेज विज्ञापन देखा था तो उत्साह में अपने मोबाईल में पेटीएम पर ५००० रु शिफ्ट कर लिये थे , जब लम्बे समय तक उनका कोई उपयोग नही हो सका तो बच्चो को दो दो हजार शिफ्ट किये , एक बार पेटीएम से पिक्चर की टिकिट बुक की , अगले फ्री टिकिट के आफर को इग्नोर किया ,और बेवजह ओला से थियेटर गये फिर भी एक सौ छियासठ रुपये अभी भी हमारे मोबाईल में बचे हुये हैं , अब उन्हें ठिकाने लगाकर मुक्ति पाने के लिये बिजली बिल की राह देख रहे हैं .
बात उन दिनो की है जब अमेरिका और रूस में कोल्ड वार हुआ करता था . ओलम्पिक की किसी स्पर्धा में केवल अमेरिका और रूस के ही खिलाड़ी फाइनल में थे . अमेरिकन बन्दा पहले नम्बर पर आया और रशियन दूसरे नम्बर पर . अब आंकड़ेबाजी की रिपोर्टिंग सुनिये , अमेरिकन रेडियो ने कहा "अमेरिकन वेयर फर्स्ट एन्ड ड़सियन वेयर लास्ट" . रशियन न्यूज ने लिखा , "रशियन वेयर स्टुड सेकेंड , व्हेयर एज अमेरिकनस वेयर लास्ट बट वन " . गलत बिल्कुल नही , शत प्रतिशत सही कहा दोनो ने बस थोड़ा सा केल दिखा दिया आंकड़े बाजी का .
किसी अधिकारी को अपने दो मातहत कर्मचारियो की गोपनीय चरित्रावली लिखनी थी , पहला उनका बड़ा प्रिय था उनकी ठकुरसुहाती करता था यद्यपि काम काज में ढ़ीला ढ़ाला था , जबकि दूसरा मेहनती था पर काम से काम रखता था , अफसर की हाँ में हाँ नही मिलाता था . पहले ने कुल जमा दो ही प्रोजेक्ट किये थे , और उससे पिछले साल में तो केवल एक ही प्रोजेक्ट किया था , जबकि दूसरे ने जहाँ पिछले साल दस काम किये थे , वही इस साल और मेहनत करके अपना ही रिकार्ड तोड़कर ११ काम पूरे कर डाले थे . अफसर आंकड़ेबाज था . उसने अपने चहेते की रिपोर्ट में लिखा " ही अचीव्ड १०० परसेंट ग्रोथ " , लिखना न होगा कि दूसरे बन्दे की ग्रोथ केवल १० प्रतिशत दर्ज हुई थी . तो ये मजे होते हैं आंकड़ो के खेल के . स्टेटिस्टिकल आफीसर्स यही करतब करते रहते हैं और सरकारी रिकार्डो में दुखी पीडित जनता की मुस्कराती हुई तस्वीर छपती रहती है .
आंकड़े केवल संख्याओ के ही नही होते , ट्रेन के तो सारे डब्बे ही एक दूसरे से आंकड़ो से फंसे खिंचते चले जाते हैं , आंकड़ो में फंसाकर कुंए में गिरी हुई बाल्टी हमने निकाली है .राजनेता हमेशा अपने आंकड़े खुले रखते हैं जाने कब किसको साथ लेना पड़े सरकार बनाने के लिये और जाने कब किसकी पैंट खींचनी पड़े आंकड़े फंसा कर . हुक अप , हैंगआउट वगैरह तो युवाओ के बड़े उपयोगी जुमले हैं . इन दिनो युवा प्रेमी , प्रेम से पहले हुक अप संस्कार से गुजरते हैं . गूगल हैंग आउट हम सभी ने किया है . लेकिन आंकड़े बाजी के इस आंतरिक विश्लेषण का यह मतलब कतई नही है कि मुझे देश की विकास दर पर कही से भी जरा भी संशय है . देश बढ़े , आंकड़ो में भी बढ़े और असल में भी बढ़े . खूब बढ़े .
No comments:
Post a Comment
कैसा लगा ..! जानकर प्रसन्नता होगी !