Showing posts with label कम आन वैल्थ.... बनाम कामनवैल्थ. Show all posts
Showing posts with label कम आन वैल्थ.... बनाम कामनवैल्थ. Show all posts

Saturday, December 4, 2010

कम आन वैल्थ.... बनाम कामनवैल्थ गेम्स नई दिल्ली २०१०

व्यंग
कम आन वैल्थ.... बनाम कामनवैल्थ गेम्स नई दिल्ली २०१०


विवेक रंजन श्रीवास्तव


पिछले दिनों मेरा दिल्ली जाना हुआ , यात्रा कामन मैन की तरह नान ए सी कम्पार्टमेंट में करनी पड़ी क्योंकि प्रोग्राम अचानक ही बना था , और आजकल ट्रेन रिजर्वेशन में सबसे पहले ए सी कोच ही फुल हो जाते हैं , देश तरक्की कर रहा है, लोग फल फूल रहे हैं .लोगों की इस तरक्की का श्रेय भ्रष्टाचार को भी जाता है , मेरा सरकार से अनुरोध है कि विकास के इस मंत्र को अब लीगलाइज्ड कर ही दिया जाना चाहिये .ट्रेन में मेरी सीट के सामने रामभरोसे बैठा था , जानते हैं ना आप रामभरोसे को , वही अपने करेंसी नोट वाले गांधी जी के भारत का अंतिम व्यक्ति , जिसे वोट देने का असाधारण अधिकार दिया है हमारे संविधान ने . रामभरोसे जिसका जीवन सुधारने के लिये सारी सरकारें सदा प्रयत्नशील रहती हैं ,जो हर पार्टी के चुनावी मेनीफेस्टो के केंद्र में होता है , अब तो पहचान लिया होगा आपने रामभरोसे को , यदि अभी भी आप उसे न पहचान पाये हों तो पानी के लिये नल की लाइन पर , राशन की दूकान पर , या किसी सरकारी दफ्तर में किसी न किसी काम से प्रायः चक्कर काटते हुये इस बंदे से आप सहज ही मिल सकते हैं . आजादी से पहले पैदा हुये एक बुजुर्ग सज्जन भी सामने की सीट पर ही बैठे थे , वातावरण में उमस थी . जैसे लंदन में दो अपरिचित बातें शुरू करने के लिये मौसम की बातें करने लगते हैं , वैसे ही हमारे देश में सरकार विरोध में बोलना , व्यवस्था के विरुद्ध शिकायत करना , समाज में आचरण के अधोपतन , नैतिकता के गिरते स्तर से लेकर भ्रष्टाचार के शिष्टाचार में बदलने की स्थितियों तक की चर्चायें , रास्ते की सारी कठिनाईयां भुला देती हैं , समय सुगमता से कट जाता है इस बातचीत में सभी को आत्म प्रवंचना का सुअवसर मिल जाता है , अपरिचितों में भी आत्मीयता का भाव पैदा हो जाता है . रामभरोसे , जो सिर्फ राम के ही भरोसे जी रहा है , मजे की बात है कि वह राम को ही अपनी बेबस जिंदगी के लिये भरपूर कोसता है .
एक चाय वाला निकला , मैने बड़प्पन दिखाते हुये तीन चाय लीं , गरम पानी जैसी बेस्वाद चाय पीते हुये अखबार में पढ़ी हुई अपनी जनरल नालेज हम एक दूसरे पर उड़ेलने लगे . स्वाभाविक था कि नई दिल्ली में होने वाले आसन्न कामनवैल्थ गेम्स पर भी हमारी चर्चायें होने लगीं . सबसे पहले तो अपने देश की गरीबी का उल्लेख करते हुये बुजुर्गवार ने कामनवैल्थ खेलों के आयोजन की प्रासंगिकता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया , मैने उन्हें समझाया कि चचा , गरीब से गरीब व्यक्ति भी समाज में स्वयं को सार्वजनिक रूप से गरीब थोड़े ही घोषित करता है ,ठीक इसी सिद्धांत पर हम भी पाकिस्तान को वहां बाढ़ आने पर अपना पेट काटकर करोड़ो का दान देते हैं , दुनियां में अपनी साख बनाने के लिये कामनवैल्थ गेम्स का आयोजन भी ऐसी ही नीति का परिणाम है रामभरोसे को मेरी यह बात पसंद आई , उसका स्वाभिमान , देश प्रेम का जज्बा जाग उठा पर अभी भी बुजुर्ग सज्जन पढ़े लिखे थे वे कुतर्क कर रहे थे , उनका कहना था कि पहले हमारे खिलाड़ी कुछ अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ में मेडल तो जीतें तब हम ऐसे बड़े आयोजन करें ,बात में दम था .
उपर की बर्थ पर लेटे युवक ने जो अब तक चुपचाप हमारी बातें सुन रहा था बहस में एंट्री ली , उसने कहा कि यदि हम स्थापित खेलों में जीत नही सकते तो बेहतर है कि कुछ नये खेल शुरू करवायें जावें , जिनमें हमारा जीतना तय हो जैसे किसी काम में कौन कितना ज्यादा से ज्यादा कमीशन ले सकता है , ऐसी प्रतियोगिता के विजेता को भ्रष्टाचार अलंकरण से सम्मानित किया जा सकता है ,ठेकेदार इस व्यवस्था का कोच नियुक्त किया जा सकता है , मंत्री जी , सचिव जी , इंजीनियर साहब , ब्लैकमेलर पत्रकार आदि आदि प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर कीर्तिमान बना सकते हैं . रामभरोसे ने कहा कि उसके हिस्से के फंड को कामनवैल्थ गेम्स की तैयारियो के लिये डाइवर्ट करके यह सब ही तो किया जा रहा है . इन भ्रष्टाचारियो के लिये कामनवैल्थ गेम्स , कम आन वैल्थ का उद्घोष ही हैं .करोड़ो रुपयो में थीम सांग बनता है जिसे सुनने के लिये भी देश भक्ति की सारी ताकत लगाना पड़ती है . मैनेजमेंट के , ग्लोबल टेंडर के इस साधन संपन्न युग में भी सारी तैयारियां अंतिम वक्त के लिये छोड़ दी जाती हैं , आखिर क्यों ? आखिर क्यों , हमारे खिलाड़ी डोपिंग का सहारा लेना चाहते हैं जीत के लिये ? रामभरोसे को कुछ कुछ गुस्सा आ रहा था . मुझे रामभरोसे के ज्ञान पर प्रसन्ता हो रही थी , मैं खुश था , क्योकि मेरा मानना है कि जिस दिन रामभरोसे को सचमुच गुस्सा आ जायेगा क्रांति हो जायेगी , भ्रष्टाचारी भागते फिरेंगे , और कामनवैल्थ गेम्स में ही नही ओलंपिक में भी भारत मेडल ही मेडल जीतकर रहेगा , इस देश में सदा से कामन मैन ने ही अनकामन काम किये हैं .फिलहाल आइये दुआ करें कि दुनियां में देश की इज्जत बची रहे कामनवैल्थ गेम्स सुसंपन्न होवें . आयोजकों से और भारतीय खिलाड़ियों से हम यही कहें कि कम आन यू कैन डू इट ....और जब कर गुजरेंगे तो नेम , फेम , वैल्थ सब कुछ स्वतः ही आपकी होगी .