Friday, May 20, 2011

क्या स्वतंत्र भारत के माननीय न्यायलयो को अपनी महीने महीने भर की छुट्टियो पर पुनर्विचार नही करना चाहिये ...

लाखो मुकदमें पेंडिग हैं और माननीय न्यायालय बच्चो के स्कूल की छुट्टियो की तरह एक महीने की गर्मियो की छुट्टियां मना रहे हैं ...
अंग्रेजो के समय की बात और थी अब तो ए सी की सुविधा हैं जज साहब ....
क्या स्वतंत्र भारत के माननीय न्यायलयो को अपनी महीने महीने भर की छुट्टियो पर पुनर्विचार नही करना चाहिये ...
क्या सुप्रिम कोर्ट मेरी इस खुली जनहित याचिका पर कोई डाइरेक्टिव जारी करेगा !

1 comment:

  1. Ajeeb baat hai, hum apne liye man maafik avkaash chahte hain aur anya ke liye kaam. Nyaayadheesh bhi jeevit praani hi hota hai. Ye sach hai ki aabadi ke hisaab se hamare desh mein nyaayadheesh kam hain, lekin ye gahra vishay hai. Nyaayalay to nahi kahta upadrav karne ke liye. Nyaayalay to nahee kahta aabadi badhte jao. Ye blog aparipakva aur adhoora hai.

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कैसा लगा ..! जानकर प्रसन्नता होगी !