tag:blogger.com,1999:blog-829989830000839403.post1870495485148619755..comments2023-04-28T02:42:54.455-07:00Comments on विवेक के व्यंग: विदेशी शराब की सरकारी दुकानVivek Ranjan Shrivastavahttp://www.blogger.com/profile/06945725435403559585noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-829989830000839403.post-33051849698179894282009-01-27T07:35:00.000-08:002009-01-27T07:35:00.000-08:00बहुत सटीक . इन्ही दुकानों से सरकार को राजस्व का फा...बहुत सटीक . इन्ही दुकानों से सरकार को राजस्व का फायदा हो रहा है . सरकार इसी की लालच में और दुकाने खुलवा रही है . आगे आगे देखिये ये मधुशालाये मन्दिर मज्जिद गिरजाघरों में और तो और राष्ट्रिय स्मारकों के सामने खुल जायेगी .समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-829989830000839403.post-9963673754086183162009-01-27T06:57:00.000-08:002009-01-27T06:57:00.000-08:00आइये खुषी में, गम में, नये वर्ष के स्वागत में, जीत...आइये खुषी में, गम में, नये वर्ष के स्वागत में, जीत में, हार में, पदोन्नति में, सेवानिवृत्त पर या फिर वैसे ही, अपनी इस सरकारी दुकान से, यह अपने ही देष में बना स्वदेषी, विदेषी पेय खरीदकर इसका रसास्वादन करें और ग्लोबलाइजेषन को महसूस करें।<BR/><BR/>--जब आप चाहें, इस सुकार्य को अंजाम देकर इस युग को नया आयाम देते हैं :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com